भगवान बहुत ढूँढा इनको पर कहीं न मिले??? क्यों नहीं मिले क्योंकि हम ढूँढने पता ही गलत लेकर निकले थे। क्योंकि जो इस दुनिया में हर जगह है उसका पता सिर्फ एक कैसे हो सकता है। ग़ौर कीजियेगा इस बात को यह भगवान हर जगह है हर किसी के अंदर, बस देर है अंदर छुपे उस अच्छाई को ढूढंने में । आख़िर एक इंसान या जीव ही तो हर जगह मौज़ूद है...जरूरत पड़ने पर एक असहाय कि मदद् भी करते है। तो इस तरह तो हम ही भगवान का रूप हुए न। आख़िर भगवान का अर्थ क्या है? बहुत सोचा-खोजा तब जाके पाया।... भ- भूमि ग्-गगन व-वायु अ-अग्नि न-नीर आख़िर यही पाँच तत्व तो भगवान है आर यही पाँच तत्व हम भी है। तो लोग भगवान को ढूँढने के जगह अगर खुद के अंदर छुपी उस अच्छाई को ढूढ़ेंगे न तो शायद भगवान मिल जाये किसी रूप में उन्हें। Nishu Maurya.... #my thinking...# n...m... #bhgwan its mean we#mythinking...by...n.m... so guys please comment it....