माना अन्धेरा बहोत है जहाँ में फ़क़त शिकायतों से मगर हासिल क्या होगा कोई मशाल बन के जले तो मिले राह सबको इस दौर का ईसा किसी को तो बनना होगा Musings - 19/6/19