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तुम्हारा साथ तुम्हारे साथ होती हूं जब जीती हूँ मैं

तुम्हारा साथ
तुम्हारे साथ होती हूं जब जीती हूँ मैं अपना बचपन
कुछ नादानियाँ कुछ शैतानियां अपनी मनमानियां और ज़िद्दीपन.
तुम्हारे साथ होती हूं जब करती हूं तुमसे प्यार और मनुहार
इज़हार...इकरार देखकर तुम्हारी आँखों मे
खुद को सजाती हूं..संवारती हूं,पल पल खुद को निखारती हूं
दिखाती हूं अपनी शोख अदाएं जो तुझको भरमाएं.
तुम्हारे साथ होती हूं जब मिलता है मुझे सुकून..बेहद बेहिसाब
हो जाती हूँ मैं परिपक्व मिलता है तुम्हारी प्रिया को
उसका अस्तित्व होता है एहसास कि...
हम...जीवन रथ के दो पहिये हैं...एक भी लड़खड़ाया तो,
जीवन रथ का रुकना तो तय है....तुम्हारे साथ होती हूं जब
तो लगता है कि, अकेली नही हूं मैं खड़े हो तुम सदा..
मेरे साथ ढाल बनकर विश्वास दिलाते हो..हर अच्छे बुरे दिनों में
मुझे साथ पाओगी तुम और कहते हो फिक्र किस बात की..
"मैं हूं ना..."

©Jain Saroj
  #तुम्हारासाथ