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हम भारत माँ की गोद से अमृत रस को उपजाते है उस धुप-

हम भारत माँ की गोद से
अमृत रस को उपजाते है
उस धुप- घाम को सहन कर
फौलादी वीर बनाते है।।

हम रक्त- रक्त को सिंच कर
घर -घर का आँच जलाते है
हम हि दुनीया का अन्नदाता
भुखे का प्यास बुझाते है।।

हमे स्वार्थ की कोइ निंव नही
मिट्टी का तिलक लगाते है
हम मरते है इस मिट्टी पर
मिट्टी मे दफ्न हो जाते है।।

 Some words for farmers...
हम भारत माँ की गोद से
अमृत रस को उपजाते है
उस धुप- घाम को सहन कर
फौलादी वीर बनाते है।।

हम रक्त- रक्त को सिंच कर
घर -घर का आँच जलाते है
हम हि दुनीया का अन्नदाता
भुखे का प्यास बुझाते है।।

हमे स्वार्थ की कोइ निंव नही
मिट्टी का तिलक लगाते है
हम मरते है इस मिट्टी पर
मिट्टी मे दफ्न हो जाते है।।

 Some words for farmers...
ppriyadarshi3841

priyaranjan

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