आंखें तुम्हारी आशा पारेख सी, तुम बिल्कुल इतिहास की तारीख सी, देखने में आसान प्रिये लेकिन पढ़ने में बहुत ही मुश्किल हो। खुद तो हिंदी जैसी सुलझी हो, हमें क्यों गणित के जैसे उलझाए हो, कोई सरल सा सूत्र बताओ प्रिये हमें भी अब पार लगाओ प्रिये। भौतिक विज्ञान में तो तुम अव्वल हो, फिर क्यों समाजशास्त्र में इतनी कच्ची हो, वाणिज्य की जैसी मुश्किल हो, पर कला के जैसी सुंदर हो। तुम्हारा घर है सूरज प्रिये, हम पृथ्वी के जैसे दिन रात, लगाते उसके चक्कर हैं । अब कोई तो जुगाड़ लगाओ प्रिये, बेड़ा हमरा भी पार लगाओ प्रिये। ©Pari #Mirzapur2Meme