जब वृक्ष थे ज्यादा, घर थे कम हवा शुद्ध थी,चैन से रहते थे हम अब भीड़ बड़ गईं, बड़ा मकानों का जाल सुकून भरी जिंदगी में होने लगे बवाल कहते सब हैं पर कोई करता नहीं सुधार जागो की जिंदगी की मिलती नहीं उधार ©Kamlesh Kandpal #udhar