कानों के झुमके, हाथों के कंगन या तेरे पैरों की झांझर में मिले, नुसरत व लता के गानों में नहीं, चैन मुझको तो तेरे आखर में मिले, दुनियाँ चाहती हो अपना मिलन चाहे हीर और राँझे के जैसा लेकिन मैं चाहता हूँ कि तू और मैं मिले ऐसे जैसे नदियाँ सागर में मिले। #चारण_गोविन्द #चारण_गोविन्द #govindkesher #CharanGovindG #Poet #shyari #कविता #कवि