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कोई,,हलात,,को, नहीं समझता,, तो, कोई, ,जज़्बात,,को,

कोई,,हलात,,को, नहीं
समझता,, तो, कोई,
,जज़्बात,,को,, नहीं,,ये,
तो,बस, अपनी,अपनी
समझ,, हैं।
कोई,,कुरा,कागज,,भी
पढ़,,लेता,,
तो,, कोई,, पूरी
किताब,, नहीं,,
,,समझता,,

©Rehan Raza
  #SAD sad sayri
rehanraza6958

Rehan Raza

New Creator

#SAD sad sayri #Poetry

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