तुम्हारे बिना क्या नवंबर दिसम्बर तुम्हारे बिना है सितमगर दिसम्बर ये तन्हाई मेरी है शीशे का टुकड़ा तुम्हारी जुदाई में पत्थर दिसम्बर इसी जनवरी मे तुझे हम मिलेंगे बिताना ज़रा तुम संभलकर दिसम्बर जब उसने सुना जनवरी मे मिलेंगे तो ग़ुस्से मे बोला दिसम्बर दिसम्बर हमारी लड़ाई, लड़ाई अजब है हमें देखता है ये हंसकर दिसम्बर ©Saad Ahmad ( سعد احمد ) #December # Poetry #Saad_Ahmad