है अंधेरा जिंदगी में तो रोशनी की खोज में निकलो, जख्म जो ताजे हैं तो मरहम की खोज में निकलो,, है हुकूमत इस शहर में बादशाह की तरह, तो फिर नए शहर की खोज में निकलो,, नहीं ठिकाना कि कब सामने वाला दगा दे दे, बेहतर है कि दगाबाज की खोज में निकलो,, जिंदगी की हकीकत देखनी है जो अगर, बेहतर है कि रात के अंधेरे में निकलो, "पंडित नरेन्द्र द्विवेदी" #navratri