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कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे वक़्त ने

कैसे  बिगड़े  मिरे  हालात  न मालूम मुझे 
वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे

बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे 
दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे 

मैं हूँ  खोई हुई  माज़ी की किन्हीं यादों में 
क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे 

साथ तन्हाई है औ' ग़म की  फ़रावानी है 
कैसे कटते हैं  ये दिन-रात न मालूम मुझे 

उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है 
वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे

©Parastish
  पैकर= आकृति/body, figure 
ख़दशात= शंकाएं/ doubts
माज़ी= अतीत/past
फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty
परस्तिश= इबादत,पूजा/worship

#ghazal #sher #Shayari #Poetry #parastish
pooja7092330500628

Parastish

Silver Star
Super Creator

पैकर= आकृति/body, figure ख़दशात= शंकाएं/ doubts माज़ी= अतीत/past फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty परस्तिश= इबादत,पूजा/worship #ghazal #sher #Shayari Poetry #parastish

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