सोचिये भी समझिए भी तो बंद ना होंगे,दर दरवाजे सामंजस्य बनाना क्यों पड़े निर्भय हो चुने आदर्श ताजे लोग क्या कहेंगे,व्यर्थ चिंता सधे सुर जब बज रहे बाजे जैसी करनी वैसी भरनी है तब क्यों नकल में हो आगे करनी का लेख है जब वहां तब यहां,वहां क्यूँ चकरावे व्यभिचार है,चिंता तो होगा प्रतिनिधि क्यों चुने अभागे! गीता कहाँ है भगवान! सुप्रभात। कुछ करने से पहले सोचिए भी, समझिए भी। #सोचिएसमझिए #yqdidi #YourQuoteAndMine