Dedicating a #testimonial to APARNA ASTHANA
प्रिय अपर्णा ,
मेरी गुलमोहर!
आपका व्यक्तित्व इतना विस्तृत है कि मैं या कोई भी शायद समेट पाए शब्दों में वैसे तो जब से लिखना शुरू किया तब से कई दफा शायद आप यकीन न करें पर सच है कि आपको पत्र लिखने की कोशिश की पर वो हमेशा अधूरे छूट जाते थे ना जाने क्यों ?
मेरे ड्राफ्ट में आपके लिए कई खत हैं .....या यूं कहूं की जब भी आपको महुसूस किया मैंने आपको लिखने की कोशिश की लेकिन इंसान कहां प्रेम व्यक्त करने के सफल हुआ आजतक। मुझ जैसा हो तो हर बार असफल होगा पर खैर आज के बाद मैं नहीं जानती कि आपसे दुबारा जुड़ना कब होगा वैसे जैसे मैंने आपको यहां पाया । पर महत्व ये उतना नहीं रखता जितना आप का आप बने रहना रखता है ।