कभी कभी लगता है, आदमी होना एक सजा है ना पढ़ें तो अनपढ़ जाहिल पढ़ लें तो पढ़ाई का घमंड है। शादी ना करें तो बदचलन आवारा है और कर लें तो अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। सब से मिलकर रहे तो चालाक मिलकर ना रहो तो घमंडी। पढ़ लिख कर घर में रहो तो क्यों इतने साल और पैसे खोये, कोई नौकरी करो तो 'पर' निकल आए। नौकरी का घमंड है। सहकर्मी से बात करें तो चलता पुर्जा और ना करो तो छोटी सोच वाली। बड़ा लंबा चिट्ठा है साहब क्या कहे ? अच्छा है कि चुप रहे। ©"Bittu"@Dil shayarana #सच्चीBATE #together