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हम बच्चे बचपन की गाथा गाते हैं मम्मी पापा संग बीत

हम बच्चे बचपन की गाथा गाते हैं 
मम्मी पापा संग बीती बात बताते हैं 
बात बात पर बहस बाजी,लङना लङाना आम था
भिङ जाने पर बीच-बचाव मम्मी पापा का काम था
एक बार मे बात मानना अच्छी आदत होती थी 
बङी मुसीबत तब आती जब छोटी बहना रोती थी 
देख  रौद्र रूप पिता का कोलाहल मच जाता था
हाथ लात घूँसे आखिर परिदृश्य शांत हो जाता था
ऊँ ऊँ  आंआं ई ई की ध्वनि बहुत देर तक आती थी
 मम्मी जी की बचाव योजना कोई काम ना आती थी
फिर पापा का बाहर जाकर गर्म जलेबी लाना
आँसू पौंछ बारी बारी ,अपने हाथों से खिलाना
क्रौध स्नेह भरे भावुक दिन भूल नहीं पाते है
 बातें जिंदा होती हैं, मम्मा-पापा खो जाते हैं ।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj यादें बचपन की
हम बच्चे बचपन की गाथा गाते हैं 
मम्मी पापा संग बीती बात बताते हैं 
बात बात पर बहस बाजी,लङना लङाना आम था
भिङ जाने पर बीच-बचाव मम्मी पापा का काम था
एक बार मे बात मानना अच्छी आदत होती थी 
बङी मुसीबत तब आती जब छोटी बहना रोती थी 
देख  रौद्र रूप पिता का कोलाहल मच जाता था
हाथ लात घूँसे आखिर परिदृश्य शांत हो जाता था
ऊँ ऊँ  आंआं ई ई की ध्वनि बहुत देर तक आती थी
 मम्मी जी की बचाव योजना कोई काम ना आती थी
फिर पापा का बाहर जाकर गर्म जलेबी लाना
आँसू पौंछ बारी बारी ,अपने हाथों से खिलाना
क्रौध स्नेह भरे भावुक दिन भूल नहीं पाते है
 बातें जिंदा होती हैं, मम्मा-पापा खो जाते हैं ।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj यादें बचपन की