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अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो बढ़ता ही जाये ये

अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो

©Tara Bhoj
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tarabhoj6391

Tara Bhoj

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