काश ये दुनिया मतलबी ना होती काश ये दुनिया मतलबी ना होती, दी थी तूने जिन्दगी जिसे, उसे दो पल की खुशी दे दी होती । अपने हक के लिए लोग, लड़ते नहीं इस कदर, अगर तूने उनके हिस्से की उन्हें, शोहरत दे दी होती । दुनिया तो ये मतलबी है बस, सहारा कोई नहीं देता यहाँ पर, इंसानियत मिट गई है अब दिलों से, नहीं पूछता असहाय को कोई यहाँ पर । जिन्दगी क्या है उनके लिए, जो मर जाते हैं इस दुनिया में घुट - घुटकर, कोई पूछता तक नहीं उन्हें, सहायता के लिए जब वो शीष नवाते हैं झुक - झुककर । क्या उनकी मासूमियत भी किसी ने है जानी, जो मर गए पहले ही आने से, दुनिया भी ना पहचानी । कसूर क्या था उनका, जो उनके साथ ऐसा हो गया, लापरवाही थी किसी की, या भाग्य का लिखा सच हो गया । काश लोग इतने बेदर्द ना होते, ये दुनिया मतलबी ना होती, एक दूसरे की सहायता के लिए, मिल - जुलकर खड़ी होती । तब हमारे देश में कोई भी, किसी से भेद भाव नहीं करता, अगर जाती और धर्म एक होता, सबमें एकजुटता होती । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # काश ये दुनिया मतलबी ना होती