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रूप रंग यौवन.. कुदरत का करिश्मा है! मसले न कुचले

रूप रंग यौवन.. 
कुदरत का करिश्मा है!
मसले न कुचले न टूटे न..
हम सब का ज़िम्मा है!
समाज हो गया आज..
लाचार और निकम्मा है!
अपनों से ही डर लगता है..
कैसा लोकतंत्र समाज..
और रंग तिरंगा है!
गुलशन है अपना हरा भरा..
सहमी फूल और कलियां है!
खुशबू है ये गुलाब का..
सुरक्षा में कांटों का.. 
नाम का पहरा है!
पत्तों सै घिरा घिरा है!
इश्क प्यार और मोहब्बत..
राह स्वर्ग का बहुत गहरा है!
बस जहां के सलामती के लिए!
बाग को उजाड़ना छोड़ दो!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 रूप रंग यौवन.. 
कुदरत का करिश्मा है!
मसले न कुचले न टूटे न..
हम सब का ज़िम्मा है!
समाज हो गया आज..
लाचार और निकम्मा है!
अपनों से ही डर लगता है..
कैसा लोकतंत्र समाज..
रूप रंग यौवन.. 
कुदरत का करिश्मा है!
मसले न कुचले न टूटे न..
हम सब का ज़िम्मा है!
समाज हो गया आज..
लाचार और निकम्मा है!
अपनों से ही डर लगता है..
कैसा लोकतंत्र समाज..
और रंग तिरंगा है!
गुलशन है अपना हरा भरा..
सहमी फूल और कलियां है!
खुशबू है ये गुलाब का..
सुरक्षा में कांटों का.. 
नाम का पहरा है!
पत्तों सै घिरा घिरा है!
इश्क प्यार और मोहब्बत..
राह स्वर्ग का बहुत गहरा है!
बस जहां के सलामती के लिए!
बाग को उजाड़ना छोड़ दो!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 रूप रंग यौवन.. 
कुदरत का करिश्मा है!
मसले न कुचले न टूटे न..
हम सब का ज़िम्मा है!
समाज हो गया आज..
लाचार और निकम्मा है!
अपनों से ही डर लगता है..
कैसा लोकतंत्र समाज..

रूप रंग यौवन.. कुदरत का करिश्मा है! मसले न कुचले न टूटे न.. हम सब का ज़िम्मा है! समाज हो गया आज.. लाचार और निकम्मा है! अपनों से ही डर लगता है.. कैसा लोकतंत्र समाज..