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$$ कुछ इस शाम कि गरमाहट, कुछ आपकी सांसों की , उस प

$$ कुछ इस शाम कि गरमाहट, कुछ आपकी सांसों की , उस पर से यह रुक रुक कर हवाओं का चलना , तन और मन भीग गए , उस पर से रुक- रुक कर हवा का ठंडा महसूस होना , कहीं आपकी जुल्फें उड़े, तो कभी आपकी नजर झुके , पर जो भी कहिए, ये इस शाम के मौसम की शरारत है,।। $$ @mit $$

©Amit Gorakhpuri
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amitgorakhpuri2469

Amit Gorakhpuri

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#$$ @mit $$ #लव

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