घूंघट में चाँद ओढ़ बदली का पट चाँद कर लेता घूंघट शर्म की इन्तिहा देखिये रहता उसी में है लिपट ग़र हवाएँ उड़ा लेती आँचल खुद में ही जाता सिमट कभी करता अठखेलियाँ बल खाता फिर झटपट गोरी के मुखड़े को ज्यूँ चूम लेती बिखरी लट #Ghoonghat