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"अन्तर्द्वण्द एवं चिरसमाधि पथ प्रशस्तिकरण"

"अन्तर्द्वण्द एवं चिरसमाधि पथ प्रशस्तिकरण"
         (In the caption)  ************************
मृत्यु  आलिंगन  मेरा करती नहीं है 
प्राण को मैं स्वर्ग करना चाहता हूँ।
प्रभु ! एक ही  पथ है हमारे हाथ में,
नरदेह का उत्सर्ग करना चाहता हूँ।।.
एक दीपक रोशनी का जल रहा था,
एक आँधी भी तिमिर में बह रही थी।
कल अचानक रागिनी ने राग छेड़ा,
"अन्तर्द्वण्द एवं चिरसमाधि पथ प्रशस्तिकरण"
         (In the caption)  ************************
मृत्यु  आलिंगन  मेरा करती नहीं है 
प्राण को मैं स्वर्ग करना चाहता हूँ।
प्रभु ! एक ही  पथ है हमारे हाथ में,
नरदेह का उत्सर्ग करना चाहता हूँ।।.
एक दीपक रोशनी का जल रहा था,
एक आँधी भी तिमिर में बह रही थी।
कल अचानक रागिनी ने राग छेड़ा,