धीरे धीरे ही सही ज़िन्दगी को रुकने मत दो लाजबाव ना सही ज़िन्दगी तब भी वक़्त की सुईया झूकने मत दो काल तक गया समय भी तेरा लौट आया गया जब जनून का हर सितम तुझ पे छाऐ गा आवाज़ हरी ना सही सूखी घास को सिकने मत दो ज़िन्दगी पड़ी है बन्द तहखाने में मौत तक का यह सफर उलझनें मत दो ©Writer Geeta Sharma #mountainday