पक्का इश्क था मेरा पक्के रगों की तरह। लेकिन बाजार में नहीं बिकता था, रगों की तरह । सच्चा इश्क था मेरा पतंगों की उमंगों की तरह ये जानता था ए-हसीं-आसमान कि कभी पहुंच ना सकेगा तुझ तक अक्षों के बिंबों की तरह ।। contradiction of love