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तकदीर बनाने की बात उठी , नेताओं की तादात बढ़ी । स

तकदीर बनाने की बात उठी , 
नेताओं की तादात बढ़ी ।
सब एक से बढ़कर बोलते ,
कहीं दिन कहीं रात बढ़ी ।।

झांसा वादो का होता था ,
कहीं लात कहीं बात बढ़ी ।
जनता सोच रही बेसब्री से ,
तकदीर की रेखा माथ चढ़ी।।
तकदीर बनाने की बात उठी , 
नेताओं की तादात बढ़ी ।
सब एक से बढ़कर बोलते ,
कहीं दिन कहीं रात बढ़ी ।।

झांसा वादो का होता था ,
कहीं लात कहीं बात बढ़ी ।
जनता सोच रही बेसब्री से ,
तकदीर की रेखा माथ चढ़ी।।