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आजकल समाज में बहुत धर्म धर्म सुनाई देता है कोई मूर

आजकल समाज में बहुत धर्म धर्म सुनाई देता है कोई मूर्ति के सामने घंटी बजाना, तो कोई आरती उतारना तो कोई भोग लगाना, तो कोई मंदिर जाना धर्म समझता है ,कोई व्रत रहना धर्म समझता है तो कोई मस्जिद में जाकर अल्लाह की इबादत करना धर्म समझता है तो कोई अपने महापुरुष के आदर्शों पर चलना धर्म समझता है, लेकिन क्या यह वास्तविक धर्म है यह तो वही है जो हमें सिखाया पढ़ाया गया जो हमने समाज से सीखा, तो प्रश्न उठता है कि हमने अपने आप से क्या सीखा मेरी नजरों में जो हम अपने आपसे सीखते हैं वही वास्तविक धर्म है मेरी नजर में वास्तविक धर्म यह है कि आप जिस प्रकृति में रहते हैं उस प्रकृति के साथ आप कितना जुड़े हुए हैं यही बात ही धर्म है अगर आप पूरी तरह से जुड़े हुए हैं इस प्रकृति से तो आप ऐसी कोई बात खुद से नहीं करेंगे जो इस प्रकृति के खिलाफ हो लेकिन अगर आप नहीं जुड़े हुए हैं इस प्रकृति से तो आप वह सारे काम करेंगे जो इस प्रकृति के विरुद्ध है। धर्म का अर्थ है इस प्रकृति से जुड़ना जिसने आपको बनाया है ,जिसने आपकी रचना की है ,जिसने आपको यह सांसे दी है ,और जो आपसे इन सांसों को छीन भी लेगी ,उस प्रकृति से जुड़ना यही वास्तविक धर्म है बाकी दुनिया में जो कुछ है वह सब अधर्म है।

©Himanchal Gupta What is Dharma?

#Thinking
आजकल समाज में बहुत धर्म धर्म सुनाई देता है कोई मूर्ति के सामने घंटी बजाना, तो कोई आरती उतारना तो कोई भोग लगाना, तो कोई मंदिर जाना धर्म समझता है ,कोई व्रत रहना धर्म समझता है तो कोई मस्जिद में जाकर अल्लाह की इबादत करना धर्म समझता है तो कोई अपने महापुरुष के आदर्शों पर चलना धर्म समझता है, लेकिन क्या यह वास्तविक धर्म है यह तो वही है जो हमें सिखाया पढ़ाया गया जो हमने समाज से सीखा, तो प्रश्न उठता है कि हमने अपने आप से क्या सीखा मेरी नजरों में जो हम अपने आपसे सीखते हैं वही वास्तविक धर्म है मेरी नजर में वास्तविक धर्म यह है कि आप जिस प्रकृति में रहते हैं उस प्रकृति के साथ आप कितना जुड़े हुए हैं यही बात ही धर्म है अगर आप पूरी तरह से जुड़े हुए हैं इस प्रकृति से तो आप ऐसी कोई बात खुद से नहीं करेंगे जो इस प्रकृति के खिलाफ हो लेकिन अगर आप नहीं जुड़े हुए हैं इस प्रकृति से तो आप वह सारे काम करेंगे जो इस प्रकृति के विरुद्ध है। धर्म का अर्थ है इस प्रकृति से जुड़ना जिसने आपको बनाया है ,जिसने आपकी रचना की है ,जिसने आपको यह सांसे दी है ,और जो आपसे इन सांसों को छीन भी लेगी ,उस प्रकृति से जुड़ना यही वास्तविक धर्म है बाकी दुनिया में जो कुछ है वह सब अधर्म है।

©Himanchal Gupta What is Dharma?

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