मेरे दुश्मन दुश्मन तो क्या कहुँ मै तूझें तू बस मेरे दिमाग का साथी है दिल में रहनें वालों को तो एक बार भूल जाँऊ पर कम्बख्त तेरी याद भुलाई नहीं जाती है विचार नहीं मिलतें हमारे कोई बात नहीं चलों अपनें जमींर पर टिके रहतें है एक नई शुरुआत करतें है हम भी चलों कुछ दिन दिमाग से निकलकर एक-दूजें के दिल में रहतें है । #मेरे_दुश्मन #नई #शुरुआत