काव्योगिता:-4 ******************* आज भी दिल हलाहल बोल रहा हाला, आज तेरे नैनो के अश्कों के जाम का पियेंगे प्याला, तृष्णा न हमारी तू जान सकेगा साकी, तुझें चाहने की मोहब्बत में, आज तेरे नाम के फूलों से सजायेंगे महकती मधुशाला। फिर एक एक कर बालो में तू इन्हें सजाना, फिर बन जाना तू खूबसूरती का खज़ाना, आज भी दिल लबरेज़ नैनो से तुझें ही देखे हाला, रक्तरंजित लहू भरा हो प्रेम का प्याला, उड़ेल दे हम पर कर न्यौछावर, देखे तेरा इश्क़ मोहब्बत हैं कितना निराला, आ बैठ इत्मिनान से तेरे लिए सजाई हैं ये प्यार की मधुशाला। कवि:-हरिवंशराय बच्चन मधुशाला #rzकाव्योगिता4 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone #poetry #कविता #myquote