ना तेरी चलेगी ना मेरी चलेगी ये दूरी किसी तरह तो गलेगी इंतजार उसका इतना भी वाजिब नही एक ही जगह दोनो की राख मिलेगी क्या करियेगा जो गम बड़ गए वो जब बनाएगा बात तभी बनेगी तब भी रेंगता रह पर कोशिश तो कर कोई तो रुकेगा और तेरी बारी आएगी