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"नदी, पत्थर और सपने" (कविता अनुशीर्षक में पढ़े) �

"नदी, पत्थर और सपने"

(कविता अनुशीर्षक में पढ़े)
🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 कलकल बहती नदी की जलधारा 

और साथ में थे धूप में चमकते रेत के कण 

लगता है जैसे कि प्रेयसी नदी ने

स्वीकार कर लिया साथी पत्थरों को
"नदी, पत्थर और सपने"

(कविता अनुशीर्षक में पढ़े)
🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 कलकल बहती नदी की जलधारा 

और साथ में थे धूप में चमकते रेत के कण 

लगता है जैसे कि प्रेयसी नदी ने

स्वीकार कर लिया साथी पत्थरों को