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दायरों में अपने सिमटने लगा हूँ मैं सच बोलकर तन्हा

 दायरों में अपने सिमटने लगा हूँ मैं
सच बोलकर तन्हा खुद में घुटने लगा हूँ मैं

खुद को कभी खुली किताब मत करना
कि अपनों की ही नज़रों में खटकने लगा हूँ मैं

©Prashant Shakun "कातिब"
  #दायरे 
#प्रशांत_शकुन_कातिब 

#sadak