वो मुलाकात आखरी थी क्या पता था, वो अधूरी बात आखरी थी, क्या पता था, इन आँखों को इंतज़ार दे जो तुम चल दिए थे, आँखों से आँखों की वो बात आखरी थी क्या पता था। यूँ तो कई शामें रोशन हुईं थीं मेरी तेरी रोशनाई से, मगर वो रोशन शाम आखरी थी, क्या पता था, मेरे कई अंधेरे बुझाकर जो लौ जलाई थी तुमने, वो लौ दूर फलक तक शाम रोशन करेगी क्या पता था। तेरा आना एक मोज़जा था शक नहीं बिलकुल, तेरा जाना भी मेरी हस्ती को देगा बदल, क्या पता था, शाम फिज़ा में हो या सहरा में फ़र्क अब नहीं पड़ता, तेरी यादों के साथ भी गुज़र जाएगा सफर क्या पता था। OPEN FOR COLLAB 🌷♥️ कविता लिखें. ✍️अपने पोस्ट highlight-share करना ना भूले. शुभदिन मित्रों 😊 #आखरीमुलाकात #hindiquotes #hindi #हिंदी #collab #hindicollab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with शब्दसारथी