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बचपन में ही मिट जाती है मासूमियत ना जाने कितनी मा

बचपन में ही मिट जाती है मासूमियत 
ना जाने कितनी मासूम जिंदगियों की

रहम नहीं करती जिंदगी भी इन पर
इनकी मासूम सी मुस्कान मिटाने में

कभी उठाती मांँ बाप का साया सर से,
कभी गरीबी के दलदल में फंँसा देती।

कभी कहीं कोई बच्ची मार दी जाती,
कभी कहीं जन्म लेने ही नहीं पाती।

बचपन का सुख नसीब में ही नहीं होता
इनकी किस्मत जन्म से ही रूठ जाती है।  आपका आज का टॉपिक है "मासूमियत"

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✍🏻✍🏻Collab  करने के बाद done जरूर लिखे✍🏻✍🏻👍

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बचपन में ही मिट जाती है मासूमियत 
ना जाने कितनी मासूम जिंदगियों की

रहम नहीं करती जिंदगी भी इन पर
इनकी मासूम सी मुस्कान मिटाने में

कभी उठाती मांँ बाप का साया सर से,
कभी गरीबी के दलदल में फंँसा देती।

कभी कहीं कोई बच्ची मार दी जाती,
कभी कहीं जन्म लेने ही नहीं पाती।

बचपन का सुख नसीब में ही नहीं होता
इनकी किस्मत जन्म से ही रूठ जाती है।  आपका आज का टॉपिक है "मासूमियत"

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