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ये पक्के मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे। युही ख़ामख़ा

ये पक्के मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे।
युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे।
रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे।
वोटों की कोई समझ न थी नोटों से सिक्के ज्यादा थे।
रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे।
अब आंख खुली सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है।
सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है
व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है।
शतरंज जहाँ पर हर प्यादा राजा बनने को मारता है।
अब हमें भी लोगो के जैसे बगुलाभागताई करनी है।
प्यार व्यार बेकार है सब अब सिर्फ लड़ाई करनी है। ये पक्के #मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे।
युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे।
रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे।
वोटों की कोई समझ न थी नोटों से #सिक्के ज्यादा थे।
#रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे।
अब आंख खुली #सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है।
सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है
व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है।
ये पक्के मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे।
युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे।
रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे।
वोटों की कोई समझ न थी नोटों से सिक्के ज्यादा थे।
रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे।
अब आंख खुली सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है।
सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है
व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है।
शतरंज जहाँ पर हर प्यादा राजा बनने को मारता है।
अब हमें भी लोगो के जैसे बगुलाभागताई करनी है।
प्यार व्यार बेकार है सब अब सिर्फ लड़ाई करनी है। ये पक्के #मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे।
युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे।
रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे।
वोटों की कोई समझ न थी नोटों से #सिक्के ज्यादा थे।
#रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे।
अब आंख खुली #सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है।
सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है
व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है।

ये पक्के #मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे। युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे। रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे। वोटों की कोई समझ न थी नोटों से #सिक्के ज्यादा थे। #रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे। अब आंख खुली #सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है। सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है। #प्यार #शतरंज #लड़ाई #बगुलाभागताई