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White उजालों में भी कहीं अंधेरा है। कहीं शाम तो कह

White उजालों में भी कहीं अंधेरा है।
कहीं शाम तो कहीं सबेरा है।
मुड़कर देख लो एक बार।
परछाईं में भी कहीं अंधेरा है।
शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर।

©Shailendra Singh Yadav
  शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी

शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी

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