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निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सर ता पा नूर म

निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सर ता पा नूर में नहाई हुई वो,
हूरों के अक्स में बसी-बसाई वो।

तबस्सुम-ए-गुल बहार-ए-बे-खिज़ां
मालूम होती है,
तितलियों के रंग में रची-रचाई वो।

~हिलाल हथ'रवी









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©Hilal Hathravi #AdhureVakya #Rang #Titli #Tabassum
निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, सर ता पा नूर में नहाई हुई वो,
हूरों के अक्स में बसी-बसाई वो।

तबस्सुम-ए-गुल बहार-ए-बे-खिज़ां
मालूम होती है,
तितलियों के रंग में रची-रचाई वो।

~हिलाल हथ'रवी









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©Hilal Hathravi #AdhureVakya #Rang #Titli #Tabassum