ये जो पंछियों सा मेरे भीतर उड़ता रहता है, इस अंतर्मन का कोई ठौर ठिकाना तो होगा, किसी को सुनाया जा सके कभी ये शोर दिल का, इस दहर में कोई तो मेरे जैसा भी होगा, ये कैसे तमाशों के बीच घिर गया हूँ मैं, इन तमाशों के अलावा कुछ अच्छा होना तो होगा, सभी के जैसा ही मैं भी तो दौड़ रहा हूँ इस भीड़ में, कोई ना कोई मेरे इस प्रयास पर नज़र रखता तो होगा, या फिर की मैं एक परछाई बन कर रह गया हूँ, या फिर की मैं अपनी ही कोई तन्हाई बन कर रह गया हूँ, खैर अब जब के किसी भी बात से कोई फर्क नही पड़ता, मैं तो अब खुद से भी किसी बात को लेकर नहीं लड़ता, अब जिस डगर ले जाएगी ज़िन्दगी उस तरफ चलता तो रहूँगा, मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ अभी अंत मे सब कुछ सबसे मैं कहूँगा। ©Pràteek Siñgh #करता_रहूँगा #Life_experience #Motivation #Self #Journey #रुकना_मना_है #समय #Morning