सब कुछ नहीं लेकीन सोचता बहुत हूँ खयाल तेरे है लेकीन उन्हें गुनगुन्ता बहुत हूँ ...! घर से निकलता हूँ जिमेदारीयो के साथ लेकीन तेरे खयालो से खेलता बहुत हूँ ...! अब क्या करे जो नींद आये आराम की जिम्मेदारी से घीरा हूँ तो सोचता बहुत हूँ ...! ©Rohit arya #WinterEve #me #myownpoetry #Dil__ki__Aawaz