यूँ ढल रही थी शाम, हवाएँ चल रही थी, पवन की ये लहरें, आज कुछ कह रही थी, ढलती है हर रोज ये शामें, मगर आज ये कुछ और ही कह रही थी, हवाएँ आज कुछ अलग जो चल रही थी...!!! हम अक्सर पार्कों में, खुली जगहों पर जाते हैं मगर वहाँ रहते नहीं। #हवाकहरहीथी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi