नर का आलिंगन नारी को सदा रहा सिर्फ मन के सुख के लिए। प्रकृति की प्रकृति तो देखो यार चूमती सदा दु:खहरण के लिए। खुश था फूल देवालय में जाकर लालायित शहीदचरणों के लिए। फूल! का हुआ घमंड चकनाचूर हसीं! फूल-सी मालिन के लिए। ©Anil Ray 💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति मे। बेबस-सी चलती हुई दम्पत्ति गाड़ी न विश्वास का पहिया न प्रेम इंजन