अपने देश का प्रेम निभाते चलो, इस धरती का कर्ज चुकाते चलो, है तुझमे वो जोश दिखाते चलों, वीर बनो और वीरों के गुण गाते चलो, धरती माँ की लाज बचाते चलो, देखों कहीं वो पनपने न पाये इस देश की भ्रष्ट शाखा बन कर, मनुष्य बनो और मनुष्य का कर्तव्य निभाते चलो, इस धरती का कर्ज चुकाते चलो, अपने देश का प्रेम निभाते चलो, ✍✍ राहुल यादव✍✍ 11