बन्धन तुम्हारे बांधने से बंध गए होंगे अफ़सोस लेकिन तुम उसे निभा नहीं पाये निगाहें जिसकी तुमको पल-पल ढूंढती होंगी पर तुम नजरें मिलाकर उसको जता नहीं पाये इबादत में जिसने तुझको आयत बना डाला कम्बक्त लेकिन तुम उसे अपना नहीं पाये शभ* भर में जिसने भर दी किताब तुमको सोच कर अफ़सोस लेकिन तुम उससे कुछ कह नहीं पाये *शभ = रात #bhandhan #bhandhan