लो फिर याद आ गयी वो कल की दास्ताँ बिछड़े है वो अजीज जो कल तलक थे रहनुमा हंसती थी ज़िन्दगी कभी उनकी दुआओं में बेलौस जी रहे थे हम उनकी पनाह में अब राहें दिल में ढूंढ़ते हम उन्ही के निशाँ बिछड़े है वो अजीज जो कल तक थे रहनुमा खामोशियों के बीच यूँ रोता है दिल मेरा बेताबियों की टीस को ढोता है दिल मेरा लो, फिर सुबह ये आ गयी, आहों के दरमियाँ बिछड़े है वो अजीज जो कल तक थे रहनुमा सितारों में जा बसें है वो हमसे इतने दूर है हम कैसे बताये ये उन्हें हम गम से चूर-चूर है सजती रहेगी झाकियां पर ना होंगे वो यहाँ बिछड़े है वो अजीज जो कल तक थे रहनुमा..