बिना खड़ग , ढाल से अहिंसा के पथ पर चल कर , देश को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद हिंद कराया । अन्याय का सर्वथा विरोध कर अन्यायी के प्रति वैरभाव न रखें , इसी मुलतंत्र से अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद सत्याग्रह कराया । समाज और राजनीति सभी समस्याओं से झुंझने की कोशिश कर , अहिंसा को समग्र जीवन दर्शन के रूप में स्वीकार कराया। गांवों के लोगो को रोजगार की तलाश में शहर जाना न पड़े , गांव में ही कुटीर उद्योग विकास , ग्रामीण रोजगार लागू कराया। सत्य -अहिंसा के पुजारी बन कर बिना शस्त्र उठाएं , देश को आज़ाद कर व्यक्ति और समाज सर्वोदय कराया । बुरा न देखो , न सुनो , न बोलो बस वाणी में मिश्री घोलो , तीन बंदर प्रतीक के रूप में संदेश दे कर जनजागृत कराया। ©आराधना आप सभी को महात्मा गांधी जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🍀 (एक छोटासा प्रयास , कुछ त्रुटि हो तो ये भी बताइए ) . . . . . .