Nojoto: Largest Storytelling Platform

सत्य कथन।। "आँखें भगवान का रूप निहारती गयी"। यह सत

सत्य कथन।। "आँखें भगवान का रूप निहारती गयी"।
यह सत्य कथन  मेरे साथ दो बार घटित हुए।
जीवन मे वैसे कई तीर्थ धाम गयी,पर भगवान की छवि पर मोहित होना मात्र दो बार हुआ।
प्रथम बार पद्मनाभ स्वामी के मंदिर में श्री विष्णु जी के शयनावस्था रूप को मंदिर के गर्भगृह के तीन दरवाजो़ से देखकर। शुरु मे आपको समझ नही आएगा आप देख क्या रहे हो? कौनसे रूप के दर्शन कर रहे हो? पर शांति से देखोगे तो हर दरवाजे़ से प्रभु की विशालकाय मूर्ति दिखेगी। अविस्मरणीय पल। लिखते हुए भी आँखो के समक्ष सारा वृत्तांत आ गया।
जय पद्मनाभ स्वामी की।

दूस
सत्य कथन।। "आँखें भगवान का रूप निहारती गयी"।
यह सत्य कथन  मेरे साथ दो बार घटित हुए।
जीवन मे वैसे कई तीर्थ धाम गयी,पर भगवान की छवि पर मोहित होना मात्र दो बार हुआ।
प्रथम बार पद्मनाभ स्वामी के मंदिर में श्री विष्णु जी के शयनावस्था रूप को मंदिर के गर्भगृह के तीन दरवाजो़ से देखकर। शुरु मे आपको समझ नही आएगा आप देख क्या रहे हो? कौनसे रूप के दर्शन कर रहे हो? पर शांति से देखोगे तो हर दरवाजे़ से प्रभु की विशालकाय मूर्ति दिखेगी। अविस्मरणीय पल। लिखते हुए भी आँखो के समक्ष सारा वृत्तांत आ गया।
जय पद्मनाभ स्वामी की।

दूस
ashagiri4131

Asha Giri

New Creator

"आँखें भगवान का रूप निहारती गयी"। यह सत्य कथन मेरे साथ दो बार घटित हुए। जीवन मे वैसे कई तीर्थ धाम गयी,पर भगवान की छवि पर मोहित होना मात्र दो बार हुआ। प्रथम बार पद्मनाभ स्वामी के मंदिर में श्री विष्णु जी के शयनावस्था रूप को मंदिर के गर्भगृह के तीन दरवाजो़ से देखकर। शुरु मे आपको समझ नही आएगा आप देख क्या रहे हो? कौनसे रूप के दर्शन कर रहे हो? पर शांति से देखोगे तो हर दरवाजे़ से प्रभु की विशालकाय मूर्ति दिखेगी। अविस्मरणीय पल। लिखते हुए भी आँखो के समक्ष सारा वृत्तांत आ गया। जय पद्मनाभ स्वामी की। दूस