निज वाणी ही यदि कटु हो , तो दोषी दुनिया सारी है। शब्दों के तो भेद बहुत है,वाणी की बलिहारी है। भारत की इस छटा के आगे,कवि वाणी भी हारी है। आदि भाषा का ज्ञान नहीं है,अंग्रेज़ी ही सारी है। स्वसंस्कृति का बोध नहीं है,औरों की मुंहजुबानी है। वेद ग्रंथ सब हुए पुराने,पुरुषों की यह वाणी है। मानस - मात है ब्रिटेन हमारी , ऐसी दशा हमारी है। अब तो भारतवर्ष में आगे , अंग्रेज़ी ही आनी है ।😔 #वाणी