तेरी परछाई से ही, इश्क़ अगर एक तरफा भी हो तो कर लेना चाहिए एक पानी की बूंद पत्थर में भी रम जाती है, बदला हो मिज़ाज़ अगर मौसमों का तो कभी कभी सुनामी भी थम जाती है, आग पर ही क्यों दोष लगता है जलाने का दो मिंट बर्फ पकड़ लेने से भी हथेली सड़ जाती है, वैसे तो एक तारा भी कभी उतरा नही ज़मीन पर मेरे आँगन में तो चाँद की परछाई भी पड़ जाती है, किस घमंड में जी रहा था आदमी तू अब तक तेरी औकात तो कब्रिस्तान में जाकर ही मर जाती है, कितना मुश्किल है अपना नाम बनाना लेकिन माँ अपने बच्चे के कितने नाम रख देती है, वैसे तो बहुत से पन्ने खाली पड़े है मगर दुनियादारी लिखते ही मेरी डायरी भर जाती है, मैं तो खुद का दिल बहलाने को लिखती हूँ पर लोगो की वाहः वाहः से मेरी कलम की उम्र बढ़ जाती है, #TeriParchai #openpoetry#nojoto smita ❤️ (ishu) Pratibha Tiwari(smile)🙂 Nawab Khan Mr. MANEESH ✍️✍️