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लुट रही थी स्मिता इस कदर जमाने में लोग बने 'अंधे'

लुट रही थी स्मिता इस कदर जमाने में
लोग बने 'अंधे' थे या छिपे थे मैखाने में
तौबा करूँ, मारूं या लड़ मरूं मैदानों में
बिना बिरोध किए जी न सकता जमाने में

©अनुषी का पिटारा..
  #बलात्कारियों_को_फाँसी_दो #अनुषी_का_पिटारा