हिस्से का मेरे जो कर्ज बाकी है, दबा है वो, सीने मे दर्द बाकी है, दरिया समुंदर में कितने बहें हैं, प्याला ज़हर का, जो हाथ साकी है... दो कदम चलते तो बात बनती, ठहरी दिलों में जो आस बाकी है कहने में देरी न होती अगर, ये आखिरी है, जो सांस बाकी है, ©Senty Poet #Women #Jindagi #LO√€ #stairs #poem