वो पहली बार देखा उसे वो तो तुम्हे पता ही है, बस वैसे ही सिलसिला चलता रहा युहीं उसको रोज़ देखने का।
ये किस्सा कुछ खास है, क्योंकि अब वो जानने लगी थी मुझे की ये वही है जो घूमता है आगे पीछे मेरे।
तो हुआ कुछ यूँ की दसवीं का परिणाम आ चुका था, और हर अद्भुत प्रभावशाली बालक की तरह हमने भी साइंस ले ली।
अंदाजा तो यहीं से हो गया होगा आप सबको, की खतरों से खेलना तो बचपन में ही शुरू कर दिया था।
तो जोश जोश में गलती करदी और लेली हमने साइंस, ये तो फिर भी ठीक था, हिम्मत देखो हमारी विषय चुना गणित और बायोलॉजी एक