सोचता हूं के दिल को कहीं रख दूं निकाल कर, बड़ा कीमती है फिर से कहीं टूट ना जाए। गम ये नहीं है के फिर से ये जुड़ ना सकेगा, फ़िक्र है के टूटा तो ज़ख़्म तुम्हें भी मिलेगा। हिसाम ©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' Hisam Khan Lyricist 9680050042 all rights reserved